
कैटेगरी: पोषण वॉरियर्स
परिचय: पारितोष पंत, Feeding From Far (फीडिंग फ्रॉम फार)
योगदान: लॉकडाउन के समय लगभग 25 लाख गरीब और बेसहारा लोगों के लिए भोजन का प्रबंध किया और राशन किट बांटी
नॉमिनेशन का कारण: कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान जब देश लॉकडाउन झेल रहा था, तब फीडिंग फ्रॉम फार के जरिए पारितोष ने गरीब, बेसहारा, श्रमिकों, मजदूरों और अनाथों की भूख को समझा और छोटी सी टीम के साथ हजारों लोगों के लिए रोज दोनों टाइम के हेल्दी खाने का प्रबंध किया।
9 मार्च 2020 को भारत के महाराष्ट्र में कोरोना का पहला केस मिला। जिसके बाद यह वायरस लगातार फैलता चला गया। 2021 में कोरोना की दूसरी लहर में केस की संख्या पहले से दोगुना ज्यादा थी। हॉस्पिटल में लोगों को एडमिशन नहीं मिल पा रहे थे। लोग मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे। हालात दिन प्रतिदिन बद से बदतर हो रहे थे। ऐसे में बहुत से लोग मेडिकल सुविधा न मिल पाने से परेशान थे, वहीँ हमारे देश का एक हिस्सा दो वक़्त की रोटी को तरस रहा था। यह एक ऐसा समय था जब हर इंसान अपने स्तर पर किसी न किसी समस्या से जूझ रहा था। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो अपनी नहीं बल्कि दूसरों की हालत देखकर चिंता में थे। ऐसे ही व्यक्तियों में से एक थे ‘पारितोष पंत’, जिनको गरीब, बेरोजगार मजदूरों और उनके परिवारों की भूख की चिंता सता रही थी।
होटल मैनेजमेंट से ग्रेजुएशन कर चुके परितोष पंत मुंबई में एक रेस्टोरेंट की सीरीज चलाते थे। उनका रेस्टोरेंट इस मामले में अनोखा था और उसे काफी प्रसिद्धि मिली थी कि उनके रेस्टोरेंट के सारे स्टाफ में वो लोग थे जो गूंगे और बहरे थे। ऐसे में रेस्टोरेंट तेजी से लोकप्रिय हुआ क्योंकि कस्टमर इशारों की भाषा में अपने ऑर्डर देते थे। जब माहमारी फैली तो दूसरे काम-धंधों की तरह उनके रेस्टोरेंट भी बंद हो गए। जिसकी वजह से पारितोष डिप्रेशन में आने लगे।
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कैसे हुआ दूसरों की भूख का एहसास और क्यों शुरू किया फीडिंग फ्रॉम फार?
एक दिन जब वह अपने परिवार के सदस्यों को पाव बनाकर खिला रहे थे, तो उन्हें एहसास हुआ कि उनकी अपनी लाइफ कितनी बढ़िया है जो वह अपनी फैमिली के साथ आराम से खाना खा पा रहे हैं। जबकि मजदूर वर्ग के वो लोग जिनके पास लॉकडाउन की वजह से कोई काम नहीं है और उनको मालूम नहीं कि वो अगले टाइम का खान कहाँ से और कैसे खाएंगे, उन्हें खाना मिल भी पाएगा या नहीं। यही वो पहली सोच थी, जिसने आगे चलकर उनकी लाइफ पूरी तरह से बदल दी। इस विचार के साथ उन्होंने सोशल मीडिया पर गरीबों की भूख और खाने की अनिश्चितता का मुद्दा उठाया। उन्होंने अपनी पोस्ट में एक ऐसी रसोई बनाने का प्लान शेयर किया जो विशेष रूप से उस समुदाय के लोगों के द्वारा चलाई जाएगी जिन्हें दो वक़्त के खाने की सख्त जरूरत है। उनकी इस पोस्ट को उनके दोस्तों ने पसंद किया और आगे शेयर भी किया गया। जिसे हज़ारों लोगों ने पढ़ा और बहुत सारे लोग इसके सपोर्ट में आगे आए।
मुंबई के गोवंडी को बनाया प्रोजेक्ट का केंद्र बिंदु
ईस्ट मुम्बई में मौजूद गोवंडी को उन्होंने प्रोजेक्ट का मुख्य केंद्र बनाया, क्योंकि यह मुम्बई के सबसे कम विकसित जगहों में से एक थी। जहाँ औसत आयु दर 40 साल से भी कम है। लोगों को भरपेट खाना न मिल पाने से यहाँ रह रहे लोगों का शारारिक विकास बहुत कम है। पारितोष का लक्ष्य गोवंडी के लोगों को सिर्फ खाना खिलाने तक सीमित नहीं था। बल्कि एक ऐसा सेटअप स्टार्ट करना था, जिसकी जिम्मेदारी गोवंडी के लोग खुद उठाए। पंत चाहते थे कि वहां के लोगों में सामजसेवा की भावना का विकास हो और वे लोग इस तरह की रसोई को हमेशा चलाते रहें। पारितोष के Feeding From Far प्रोजेक्ट से कोवंडी के लोकल दुकान वालों को भी लाभ मिला। उनके इस प्रोजेक्ट की टीम ने ड्राई पावभाजी बनाकर तैयार की। ध्यान रखा गया कि इस भाजी में पोषक तत्वों की अधिकाधिक मात्रा मौजूद रहे। क्योंकि बहुत से परिवार पूरे दिन में केवल इस भाजी को खाकर गुजारा करने वाले थे।
पंत के राह में आती रहीं कई चुनौतियां
परितोष का यह प्लान सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जितना आसान नहीं था। उनकी आगे की राह अनेक चुनौतियों से भरी थी। शुरू के दो दिन में ही पंत को अपना प्लान फेल होते नज़र आने लगा। अपने प्रोजेक्ट को सही दिशा में ले जाने के लिए उन्होंने गोवंडी के पूरे इलाके को गलियों और मुहल्लों के हिसाब से 45 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा, टीम बनाई और कड़े नियमों के साथ इसकी रसोई की शुरुआत की। लगभग 60 लोगों की टीम के, ‘किचनटीम’, ‘पैकिंग टीम’, ‘स्टोरेज टीम’, ‘सिक्योरिटी टीम’, ‘लोकल डिस्ट्रीब्यूशन टीम’ और ‘डिलीवरी टीम’, नाम के ग्रुप बना दिए गए। इसके अलावा एक व्यक्ति को टेम्प्रेचर मशीन और हैंडवॉश लिक्विड के साथ एंट्री गेट की जिमेदारी सौंपी गयी। सैनिटाइजेशन के अलावा इस बात की भी कड़ी निगरानी थी कि कोई टीम मेंबर सुरक्षा नियमों को अनदेखा तो नहीं कर रहा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टीम मेंबर्स को ID कार्ड दिए गए। ताकि एक समय पर निश्चित मात्रा में कार्यकर्ता काम करें। एक टीम की शिफ्ट पूरी होने पर दूसरी टीम को ID कार्ड के साथ एंट्री मिलती। ताकि एक समय पर ज्यादा मेंबर इक्क्ठे होकर भीड़ न बढ़ाएं।
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बाद में देने लगे राशन किट
उनके काम की पहली शिफ्ट की शुरुआत सुबह 6 बजे होती थी। सबसे पहले रसोई वाली टीम खाना बनाती। इसके बाद पैकिंग टीम पैक किये गए खाने के पैकेट को लोकेशन के अनुसार अलग-अलग बाँट कर रख देती। फिर डिस्ट्रीब्यूशन टीम स्कूटर पर पैकेट रखकर जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाती। यह प्रक्रिया दिन में दो बार की जाती थी। ‘Feeding From Far’ प्रोजेक्ट को सोशल मिडिया पर खूब प्रमोट किया गया। लोगों से ज्यादा से ज्यादा चंदा देने की प्रार्थना की गयी। प्राप्त की गयी धनराशि को सिर्फ भोजन प्रबंध में लगाया जा रहा था। इसी समय पंत को एक और आईडिया आया जिससे जरूरतमंदों का पेट भरने का यह सिलसिला कभी न रुके। उन्होंने गरीब परिवारों के लिए राशन किट तैयार करवाई। जिसमें दाल, चावल, तेल, नमक, हल्दी आदि सामग्री इतनी मात्रा में रखे गए कि 5 सदस्यों वाला एक परिवार इससे 2 हफ़्तों तक गुजारा कर सके। इस तरह पहले जितनी लागत में, Feeding From Far टीम के काम का प्रेशर भी कम हो गया। इसके अलावा पारितोष ने एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले मजदूरों के लिए बिस्किट,चना, छुआरे, ORS के पाऊच और पानी के फ़ूड पैकेट बनवाये ताकि रास्ते पर चलते उन्हें भूख की कमी से कोई समस्या न हो।
भूख मिटाओ प्लान
इस तरह पारितोष ने सबके सहयोग से तकरीबन 25 लाख लोगों तक खाना पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया। इस काम में उनको 70 से ज्यादा सेलेब्रिटीज का सपोर्ट मिला, जिसमें क्रिकेटर, एक्टर, सिंगर और कॉमेडियन शामिल हैं। इसके अलावा 11,500 समर्थक उनके साथ आए जिन्होंने इस नेक काम में आर्थिक रूप से उनकी मदद की। पंत फिलहाल भूख मिटाओ प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरे भारत में से 25 जरूरतमंद बच्चों को चुनने का प्लान बनाया है जो आगे अपने क्षेत्र में लोगों को भूख मिटाओ अभियान के लिए प्रेरित करेंगे और 20 लोगों को इस अभियान में शामिल कर इसको आगे बढ़ाएंगे। इस तरह यह सीरीज चलती जायेगी। इस तरह दूर रहकर अपने प्लान के जरिए लोगों की भूख मिटाने वाले पारितोष पंत ने हज़ारों लोगों के लिए एक महान उदाहरण प्रस्तुत किया है।